सीमा असीम, सक्सेना
(1)
found the way
जैसे जैसे सुबह होने लगी है, वैसे वैसे मानसी की आंखों में नींद भरने लगी है। वो रात भर तो जागती ही रही है, कभी मोबाइल पर मूवी देखती या फिर फेसबुक, टुइटर, इंस्ट्राग्राम यह सब चलाते हुए ही उसने पूरी रात गुजार दी है। इस समय वह अपने पी जी में बिल्कुल अकेली है । सारी सहेलियाँ मतलब उसके साथ रहने वाली जो रूममेटस, वे सब अपने घर चली गई हैं लेकिन मानसी नहीं जा पायी है क्योंकि उसे हल्का सा बुखार आ गया है, तो उसको ऐसा लगा कि अगर एयरपोर्ट पर उसका बुखार चैक हुआ तो कहीं वह फँस न जाये या फिर उसको कहीं पर क्वारंटाइन ना कर दिया जाये या फिर कहीं आइसोलेशन के लिए ना भेज दिया जाये। उफ़्फ़ कितने सवाल हैं और उतने ही जवाब उसके मन में उठ खड़े हुए हैं। उसे बस यही डर है और इसी डर की वजह से वह यहीं पी जी में रुक गई है । हालाँकि उसने सोचा है कि एक आध दिन में निकल जायेगी लेकिन अगले दिन से ही लॉकडउन लगने का अनाउंस हो गया और अब वह अकेली ही यहाँ पी जी में फंस जायेगी, यह सोचकर घबरा भी रही है ।
कहाँ तो उसने यह सोचा, कि यह बुखार एक टेबलेट खाते ही उतर जायेगा और वह आराम से अगले दिन की फ्लाइट करवा कर निकल जायेगी, भले ही ज्यादा पैसे लग जायें पर वह अपने घर पर सही से पहुँच तो जायेगी, लेकिन उस का सोचा हुआ पूरा नहीं हुआ बल्कि बुखार कम होने के बजाय और ज्यादा बढ़ गया है । अब वह क्या करें? परेशान होकर उसने अपनी मम्मी को फोन किया। जब सबसे ज्यादा परेशानी हमारे पास आती है तब सिर्फ एक ही का ख्याल आता है और वो होती है माँ ।
मम्मी ने उसकी आवाज सुनते ही समझ लिया कि उसकी तबीयत सही नहीं है ।
उन्होने मानसी के कुछ कहने से पहले ही उससे पूछा, “क्या हुआ मानसी ? तुम सही तो हो न?”
“हाँ मम्मी मैं बिल्कुल ठीक हूँ,बस हल्का सा बुखार है, ठीक हो जायेगा।“ उसने मम्मी को दिलासा देने के लिहाज से कहा कि कहीं मम्मी परेशान ना हो जाये, लेकिन माँ की आवाज सुनकर उसकी आंखों में आंसू भर गए हैं और उसे बोलने में भी बेहद तकलीफ हो रही है।
माँ तो आखिर माँ ही होती है, वह भला कैसे नहीं समझ पाती, वे तो उसकी आवाज से ही जान गयी हैं कि वह परेशान है और बीमार भी ।
“बेटा, तुम मुझसे भी झूठ बोलने लगी हो ना? तुम्हें समझ नहीं आता कि माँ से कभी झूठ नहीं बोल सकते, वो तुम्हारे बिना कुछ कहे भी तुम्हारी हर बात समझती है कि तुम क्या कहना चाह रही हो या तुम्हारे मन में क्या है? तुम सोच रही होगी इस तरह से कहकर मैं खुश हो जाऊंगी ? नहीं बेटा, बल्कि मैं दुखी हूँ कि तुमने मुझे अपनी सच्ची बात नहीं बताई।”
मानसी मम्मी की बात सुनकर चुप ही रही और कुछ नहीं बोली ।
“बोलो तुम बीमार हो ना?” मम्मी ने फिर से कहा ।
“ हाँ माँ मुझे बहुत तेज बुखार है।”
“ओहह बुखार है? क्या तुमने डॉक्टर को दिखाया?”
“हाँ माँ मैं कल ही डॉक्टर के पास गई ।“ उसने फिर झूठ बोलते हुए कहा।
“ किसके साथ डॉक्टर के पास गई ?”
“मैं अकेली ही गई मम्मा।”
“क्यों बेटा और तेरे हॉस्टल की सारी गर्ल्स कहाँ हैं?”
“मम्मा वे सब तो यहाँ से निकल गयी ।”
“कहाँ?”
“अपने घर चली गयी हैं।”
“अब तुम अकेले क्या करोगी? एक तो बीमार और फिर अकेले? कैसे मैनेज करोगी सब कुछ?” इतनी दूर विदेश में ऐसा कोई भी तो नहीं है जो हमारी जान पहचान वाला हो, मैं तुमसे कब से कह रही कि बेटा वापस आ जाओ पर तुमने नहीं सुना । माँ की आवाज से चिंता साफ़ झलक रही है।
“मम्मा मैं वापस इंडिया आ गयी हूँ और इस समय पूना में हूँ।”
“ अरे कब आई, बताया भी नहीं ? अच्छा जरा रुको बेटा मैं अभी एक मिनट में दुबारा से तुम्हें फोन करती हूं ठीक है न । यह कहते हुए मानसी की मम्मा ने फोन रख दिया....
काफी देर हो चुकी है लेकिन अभी तक मम्मी का फिर से फोन नहीं आया है । मानसी बहुत परेशान हो रही है, मम्मी ऐसा क्या कहना चाह रही हैं कि उन्होंने फौरन फोन कट कर दिया । वे शायद नाराज हो गयी होंगी तभी उससे बात नहीं की, वो तो माँ को सरप्राइज करना चाहती है, बस इसलिए ही नहीं बताया उनको कि मैं इंडिया आ गयी हूँ । उसके सिर में बहुत दर्द हो रहा है और आंखों से लगातार पानी बह रहा है शायद मम्मी की याद की वजह से, शायद घर की याद की वजह से, या शायद फिर बुखार की वजह से, या कुछ भी हो सकता है। वह बेड पर आकर लेट गई ! हर तरफ सूनापन है । वह कभी दीवारों को देख रही है और कभी पंखे की तरफ जो धीरे-धीरे चल रहा है, बहुत ज्यादा गर्मी नहीं है, बल्कि थोड़ा हल्का ठंडा मौसम होने लगा है, मार्च के महीने में न सर्दी रहती है और न ही गर्मी । इस शहर में तो शायद कभी सरदी पड़ती ही नहीं है ।
उसके बराबर वाले बेड पर सोनिया और प्रियंका सोते हैं । लेकिन आज वह दोनों ही नहीं हैं, उनके खाली पड़े बेड उसका मुंह चिड़ा रहे हैं । कल सुबह ही वे दोनों अपने घर के लिए निकल गए । उन दोनों के घर करीब ही हैं लेकिन मानसी, वह कैसे चली जाती, एक तो बुखार और दूसरे उसका घर भी काफी दूर है उसे फ्लाइट से ही जाना पड़ता और फ्लाइट में जाने के लिए उसे टेस्टिंग और सारे चेकअप भी कराने पड़ते तभी उसे एयरपोर्ट पर अंदर जाने को मिलता चैक इन के लिए, यही सोचकर वह यहीं पर रुक गई । मानसी अभी यह सब सोच ही रही कि उसकी मम्मा का फोन आ गया, ।
“सॉरी माँ, मुझे यहां पर अकेले बहुत डर लग रहा है मम्मा क्योंकि हमारी दोनों सहेलियां प्रियंका और सोनिया कल सुबह अपने घर चली गई हैं अगर वे होती तो मुझे कोई डर नहीं लगता लेकिन अब मैं अकेले कैसे क्या करूं? ऊपर से बुखार भी है।“ मम्मी के कुछ बोलने से पहले ही मानसी बोल पड़ी।
“कुछ नहीं बेटा,बिल्कुल परेशान मत हो, मैंने अपनी फ्रेंड की छोटी बहन रुचि को फोन किया है, वह वहीं पर रहती है ना, वह तुम्हें आकर देख लेगी और उसके पति डॉक्टर भी है तो कोई दिक्कत ही नहीं होगी ! तुम बिल्कुल बेफिक्र होकर उनका कॉल रिसीव कर लेना, उनका फोन बस अभी आने ही वाला होगा।” माँ तो उससे नाराज नहीं बल्कि उसके बुखार आ जाने के कारण बहुत ज्यादा परेशान हो गयी लगती हैं ।
“ ठीक है मम्मा, आप कितनी अच्छी हो, आप तो मेरी सारी प्रॉब्लम एक मिनट में सॉल्व कर देती हो।” मानसी का डर अब थोड़ा कम हो गया है।
“ क्योंकि तुम भी तो मेरी बहुत प्यारी बेटी हो और तुम इतनी समझदार भी हो और अब मुझे पूरा विश्वास है कि तुम बिल्कुल भी घबरा नहीं रही होगी, परेशान भी नहीं हो रही होगी, हैं न ? देखना सब सही हो होगा। मम्मी ने उसकी हिम्मत बढाते हुए कहा।
“हाँ माँ मुझे पता है कि सब सही हो जायेगा और मेरे साथ हमेशा सब सही ही होता है । कभी कुछ गलत होता ही नहीं है क्योंकि गणपति बप्पा हमेशा हमारी रक्षा करते हैं साथ ही आप लोगों का आशीर्वाद भी तो मेरे साथ है।”
“वेरी गुड, मुझे तुम पर यही भरोसा रहता है,, मुझे यह भी पता है कि तुम यही कहोगी, चलो ठीक है अब तुम बेफिक्र हो जाओ और बिल्कुल चिंता मत करो, अभी रुचि का फोन आएगा, वो सब चीजें मैनेज कर लेंगी।“
“ओके मम्मा ठीक है बाय, मैं फोन रखती हूँ ।”
“बाय बेटा, हाँ फोन रखो क्योंकि जब तुम फोन रखोगी तभी तो तेरे नंबर पर उनका फोन आयेगा बेटा ।” यह कहते हुए मम्मा ज़ोर से हँसी।
मानसी भी मुस्कुरा दी है, अब उसे अच्छा लगा । मम्मा से बात करने के बाद उसका मन बहुत अच्छा हो गया है वरना अभी कितना परेशान हो रही वो ।
जैसे ही फोन कट किया उधर से रुचि आंटी का कॉल आ गया।
“ हेलो मानसी बेटा, मैं रुचि आंटी बोल रही हूँ ।“
“हाँ नमस्ते आंटी, मुझे अभी मम्मी ने बताया ।”
“ओहह हाँ, खुश रहो बेटा। तुम कैसी हो बेटा ? तुम्हें क्या हो गया है?”
“आंटी वैसे मैं बिल्कुल ठीक हूँ, बस मुझे थोड़ा सा फीवर लग रहा है और सिर में दर्द भी है।”
“ कोई बात नहीं, तुम्हारे घर के बिल्कुल पास में जो हॉस्पिटल है, वहां चले जाओ, तुम्हारे अंकल वहीं पर डॉक्टर है, वह तुम्हारा चेकअप कर लेंगे और कोई भी दिक्कत नहीं होगी ! सब कुछ मैनेज हो जायेगा तुम बिल्कुल फिक्र मत करो !
तुम अभी जाओ, इसी वक्त और जाकर पहले अपना सही से चेकअप करवा लो.।” वे उसे समझाती हुई बोली ।
“ ठीक है आंटी, मैं जाती हूँ ।“ मानसी उठी, उसने अपने कपड़े चेंज किए, बाल थोड़े से सेट किये और पर्स लेकर घर से बाहर निकल गई, नीचे उतर कर आई तो देखा कि बाहर ऑटो चल रहे हैं और रोड पर बहुत भीड़ भी हो रही है । ऐसा किस वजह से है जबकि अभी तो लॉकडाउन है फिर लोग बाहर रोड पर कैसे हैं ? शायद इन लोगों को भी बुखार है सब डाक्टर के पास ही जा रहे होंगे, पर इतने सारे लोग एक साथ ? उसने अपने मन में सोचा और मुस्कुरा दी ।
फिर उसने हाथ हिलाकर एक ऑटो वाले को रोका और उसमें बैठ गयी । ऑटो वाले ने मीटर डाउन किया और हल्के हल्के चलाने लगा क्योंकि ट्रैफिक ज्यादा होने से जाम जैसा लग गया है इसलिए वह ऑटो तेज नहीं चला पा रहा है ।
“भैया आज रोड पर बहुत भीड हो रही है? जबकि यहां तो आज से लॉकडाउन लगाया गया है।“ मानसी ने ऑटो वाले से पूछा।
“ हां इसीलिए तो हो रही है क्योंकि आज रात से लॉकडाउन का प्रावधान लागू हो जाएगा, सभी लोग अपनी जरूरत की चीजें घर में भर लेने के चक्कर में एकसाथ बाहर निकल पड़े हैं।”
“ओहह ! तो क्या अभी लॉकडाउन लागू नहीं हुआ है ?”
“नहीं आज रात 12:00 बजे से लागू होगा?”
“ अच्छा, मुझे लगा आज सुबह से ही लग गया है ।“ वो भी न एकदम से घबरा जाती है, लेकिन पहले तो कभी ऐसा डर महसूस नहीं हुआ है जबकि हर जगह अकेले आती जाती है, कभी कुछ भी परेशानी नहीं और अब इतना ज्यादा डर रही है । वैसे जब कुछ गलत होने वाला होता है तो हमारा मन पहले से ही उसका संकेत देने लगता है ।
आज ऑटो वाले ने हॉस्पिटल की एक किलोमीटर की दूरी आधे घंटे में पूरी की जबकि और किसी दिन इतनी दूरी के बमुश्किल दस मिनट ही लगते हैं । ऑटो वाले को पैसे देकर मानसी ने हॉस्पिटल के अंदर काउंटर पर जाकर अपना पर्चा बनवाया और वही पड़ी सीट पर बैठ गयी । तभी एक नर्स ने उसके पास आकर कहा ।“ क्या आपका नाम मानसी है ?”
“जी सिस्टर ।“
“आपको डॉक्टर साहब बुला रहे हैं ।“
वो चौंक गयी फिर याद आया कि उनके पास रूचि आंटी का फोन आ गया होगा, यह रुचि आंटी के हस्बैंड ही तो है ।
उन्होंने उसको देखा और अपने पास से सारी दवाइयां देते हुए कहा, “मामूली सा बुखार है और कुछ नहीं,। तुम घर पर जा कर आराम करो, तुम्हें आराम की सख्त जरूरत है बस और कुछ नहीं हुआ है । हाँ जरा अपनी डाइट पर ध्यान दो तुम्हारा बी पी बहुत लो हो रहा है, तुम्हें डरने या घबराने की कोई जरुरत नहीं है ।“
“जी थैंक्यू, शायद लो बी पी की वजह से ही मुझे घबराहट हो रही है ।”मानसी ने कहा ।
“हाँ बेटा, आप जल्दी ठीक हो जाओगी ।” वे बड़े स्नेह से बोले ।
उसे बहुत अच्छा लगा, उसने हाथ जोड़कर नमस्ते की, दवाई ली और वापस अपने पी जी में आ गयी ।
वे बिल्कुल उसके अपने पापा जैसे ही बात कर रहे और परदेस में कोई अपनेपन से बात कर ले या कोई अपना मिल जाए तो मन को बड़ा सकूँ सा मिलता है । रुचि आंटी जिनको बचपन में देखा है, यह उनके पति हैं, इनसे आज पहली बार ही मुलाक़ात हुई है। अब रुचि आंटी भी उस से मिलने आ रही हैं और उसको अपने साथ अपने घर ले जायेगी । उसे रिलैक्स महसूस हुआ क्योंकि अगर पी जी में अकेले रहेगी तो घबराहट के मारे तबीयत सही होने की जगह और ज्यादा खराब हो जायेगी । रुचि आंटी के साथ अगर कुछ दिन रुकेगी और वह पूरी तरह से उसकी देखभाल करेंगी, तो वो जल्दी सही हो जायेगी और ठीक होते ही वह अपने घर चली जायेगी । लॉक डाउन में ऑफिस भी तो बंद ही रहेंगे फिर यहाँ अकेले पीजी में रुकने का क्या फायदा।
मानसी अपने रूम पर पहुंच गई है लेकिन पीजी में और कोई भी नहीं है सिवाय उसके, उसे बेहद घबराहट महसूस हुई और उसे अपने घर की याद आने लगी । उसकी आंखों में आंसू आ गए । अब बार बार मम्मी को फोन करके उनको और ज्यादा परेशान करने से कोई फायदा नहीं है वे यहाँ आ तो सकती नहीं है खामखाह परेशान हो जायेंगी, यह सोचते हुए उसने अपने फ्रेंड कबीर को फोन मिला दिया ।
“हेलो कबीर, मुझे यहां पर बहुत डर लग रहा है, मैं अपने पी जी में बिल्कुल अकेली हूँ, मेरे साथ कोई भी नहीं है, इसके साथ ही मुझे बहुत तेज बुखार भी है।”
“हेलो मानसी, क्या तुम्हें बुखार हो गया ? ओह्ह ! लेकिन तुम घबराओ मत, मैं हूं ना तुम्हारे साथ, मैं अभी आ रहा हूँ जब तक तुम अपना सामान एक बैग में रख लो, मैं तुझे अपने घर लेकर आ जाऊंगा।”
कबीर की यह बात सुनकर मानसी परेशान हो गयी, बेकार ही इस कबीर को फोन मिलाया, उसे यह तो पता है कि वो उसके लिए पजेसिब है लेकिन इतना ज्यादा यह नहीं मालूम था ।
“कबीर अभी तू रुक जा, मैं थोड़ी देर में तुझे कॉल बैक करती हूँ।“उसे समझाने के लिहाज से मानसी ने कहा ।
“ नहीं मानसी, मैं निकल रहा हूँ, मुझे यहां से पहुंचने में बस आधा घंटा ही लगेगा।“ कबीर ने फोन न रखकर अपनी बात कही।
“नहीं यार, वह बात नहीं है, कबीर ऐसे अच्छा नहीं लगेगा, मम्मा की फ्रेंड की छोटी बहन रुचि आंटी यही पास में रहती हैं वे मुझे लेने आ रही है, इस वजह से मैं तुझे मना कर रही हूँ।“
“यह मम्मी की कौन सी फ्रेंड है, तू तो कभी उनके घर नहीं गई, ना तूने कभी उनके बारे में मुझे कभी पहले बताया, कि वे यहाँ पर रहती हैं? कबीर ने कई सारे सवाल एक साथ पूछ डालें।
क्रमशः…